राज एक्सप्रेस। देश की हंसमुख, मिलनसार, प्रभावी वक्ता और बेतरीन राजनेता के तौर पर अपनी पहचान कायम कर चुकी दिवंगत सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) को आज दुनिया से गए 3 साल हो चुके हैं। वे भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपने कामों के चलते आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। वे बीजेपी की कद्दावर नेता के साथ ही देश की पूर्व विदेश मंत्री भी रहीं। उनका मध्य प्रदेश से भी गहरा नाता रहा है। वे इस राज्य से दो बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा की सदस्य भी रहीं है। यहां उन्हें ताई और दीदी के नाम से जाना जाता था। चलिए आज उनकी पुण्यतिथि पर आपको उनसे जुड़े कुछ खास किस्से बताते हैं।
आरएसएस की अंताक्षरी :
जब सुषमा की उम्र 5 साल थी, तब वे अपने पिता के साथ पलवल के छठ मेले में गईं। यहां उन्होंने आरएसएस की अंताक्षरी में भी हिस्सा लिया था। तब एक ग्रुप ‘था’ अक्षर पर अटक गया, और फिर सुषमा ने ‘थाल सजाकर किसे पूजने चले प्रात ही मतवाले’ गाकर इस ग्रुप को जिताया था।
सैनिकों को सुनाए गीत :
साल 1962 के दौरान जब चीन युद्ध चल रहा था। इस दौरान अम्बाला रेलवे स्टेशन पर जब गाड़ियां रुकती थी तो आरएसएस के लोग सैनिकों को चाय और खाना देते थे। इस दौरान सुषमा स्वराज भी अपने पिता के साथ वहां जाकर सैनिकों को देशभक्ति के गीत सुनाती थीं।
ज्योतिष और रत्नों में था विश्वास :
सुषमा ज्योतिष और रत्नों में काफी भरोसा रखती थीं। यही वजह थी कि वे खास मौकों पर रंग के अनुसार साड़ियां पहनती थीं। एक बार तो जब वे पाकिस्तान गईं तब ज्योतिष के आधार पर उन्होंने हरी साड़ी पहनी थी।
सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ा चुनाव :
बात साल 1999 की है जब कर्नाटक के बेल्लारी से सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ा था। इस दौरान सुषमा ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ा था। उन्हें यह मालूम था कि यह सीट कांग्रेस की परम्परागत सीट है, लेकिन इसके बावजूद वे पीछे नहीं हटी। हालांकि जीत सोनिया की हुई लेकिन सुषमा ने अपनी अच्छी पहचान बनाई।
जबान पर थीं अटल :
साल 2004 में यूपीए को लोकसभा में बहुमत मिलने के साथ ये कयास लगाए जा रहे थे कि सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाया जाएगा। तब सुषमा स्वराज ने एलान किया था कि अगर सोनिया प्रधानमंत्री बनती हैं तो वे सिर मुंडवाकर सफेद साड़ी पहन लेंगी। साथ ही जब तक सोनिया के पास यह पद रहेगा वे काली दाल खाकर सन्यासियों के जैसे रहेंगी। इसके बाद हमने देखा कि सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया था।
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