हाइलाइट्स :
1950 में बार कॉउंसिल में टॉप कर स्वर्ण पदक हासिल किया।
1974 में जिला एवं सत्र न्यायलय की जज बन गई थीं।
सुप्रीम कोर्ट से 1993 में सेवानिवृत्त हुई थीं फातिमा बीवी।
तमिलनाडु। सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश एवं तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल जस्टिस फातिमा बीवी का गुरूवार को निधन हो गया है। 96 वर्षीय फातिमा बीवी ने केरल में अंतिम सांस ली है। फातिमा बीवी 29 अप्रैल 1992 तक SC की जज रहीं, इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य के रूप में काम किया। सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जजा होने के साथ ही वे देश की पहली मुस्लिम महिला भी थीं जिनकी नियुक्ति जिला एवं सत्र न्यायलय में हुई थी।
बार कॉउंसिल में टॉप करने वाली पहली महिला :
फातिमा बीवी का जन्म केरल में सालक 1927 में हुआ था। स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद उनके पिता ने उन्हें कानून की पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया था। साल 1950 में उन्होंने बार कॉउंसिल में टॉप कर स्वर्ण पदक हासिल किया था। ऐसा करने वाली वह देश की पहली महिला थीं। उन्होंने अपनी जन्म भूमि केरल में ही वकील के रूप में अभ्यास किया।
केरल में वकालत का अभ्यास करते हुए ही 1974 में जिला एवं सत्र न्यायलय की जज बन गई थीं। इसके बाद 1980 में वे आयकर अपीलीय न्यायालय में शामिल हुईं। साल 1983 में हाई कोर्ट के जजा के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। उच्च न्यायालय में 6 साल काम करने के बाद साल 1989 में वे सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त हुई। इसी के साथ उनका नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया गया क्योकि ऐसा वह देश की पहली थीं जिनकी देश की सर्वोच्च न्यायलय में नियुक्ति हुई थी।
1989 में सुप्रीम कोर्ट जज बनने के बाद, जस्टिस एम फातिमा बीवी ने चार साल तक न्यायपालिका में सेवा की और फिर 1993 में सेवानिवृत्त हो गईं। सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य के रूप में कार्य किया और साल 1997 से 2001 तक तमिलनाडु की राज्यपालभी रहीं।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।