हाइलाइट्स :
प्रभा अत्रे ने संगीत पर लिखी 11 किताबें।
संगीत के साथ कानून की भी थी पढ़ाई।
13 जनवरी को 'स्वरप्रभा' कार्यक्रम में थी प्रस्तुति।
महाराष्ट्र। हिन्दुस्तान शास्त्रीय संगीत के किराना घराने से ताल्लुक रखने वाली 92 वर्षीय दिग्गज कलाकार डॉ. प्रभा अत्रे की शनिवार को हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। अस्पताल पहुँचने से पूर्व ही उनकी मौत हो गई थी। प्रभा अत्रे को 13 जनवरी को मुंबई में 'स्वरप्रभा' कार्यक्रम में प्रस्तुति देनी थी। इस कार्यक्रम के लिए रवाना होने से पहले ही उन्हें हार्ट अटैक आ गया।
प्रभा अत्रे शास्त्रीय संगीत की दुनिया में जाना माना नाम हैं। उन्हें देश के तीन सर्वोच्च पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। प्रभा पुणे में रहती थी उनके परिवार के करीबी सदस्य इस समय विदेश में हैं। उनके आने के बाद प्रभा अत्रे का अंतिम संस्कार किया जाएगा। जानते हैं उनके बारे में 10 बड़ी बातें.....।
हिंदुस्तान शास्त्रीय संगीत की दिग्गज प्रभा अत्रे का जन्म साल 1932 में 13 सितम्बर को हुआ था। उनके पिता का नाम आबासाहेब आत्रे और माता का नाम इंदिराबाई आत्रे था।
प्रभा अत्रे और उनकी बहन बचपन से ही मधुर संगीत गुनगुनाया करती थीं। उन्होंने कभी संगीत में भविष्य बनाने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन जब उन्होंने संगीत का अभ्यास शुरू किया तो इस विधा में डॉक्टरेट की उपाधी प्राप्त कर ली।
प्रभा अत्रे का संगीत उनकी मां से जुड़ा है। दरअसल बचपन में उनकी मां बीमार पड़ गई थीं। प्रभा अत्रे को कहा गया कि, संगीत उन्हें ठीक कर सकता है। इसके बाद अपनी मां को ठीक करने के लिए उन्होंने संगीत सीखना शुरू कर दिया।
संगीत की प्रारंभिक शिक्षा प्रभा अत्रे ने विजय कंदीरकर से ली। उन्होंने कम उम्र से ही संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। ख़ास बात यह है कि, उन्हें न केवल संगीत बल्कि नृत्य में भी दिलचस्पी थी।
गुरु शिष्य परम्परा के तहत प्रभा अत्रे ने सुरेशबाबू माने और हीराबाई बडोडेकर को चुना। दोनों ही हिन्दुस्तान संगीत के किराना घराने से ताल्लुक रखते थे। दोनों से इस घराने की शिक्षा प्राप्त क्र उन्होंने किराना घराने के संगीतज्ञ के रूप में अपनी विशेष पहचान बनाई।
बहुमुखी प्रतिभा की धनी प्रभा अत्रे न क़ानून और संगीत दोनों की पढ़ाई की थी। उन्होंने ILS लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की और गान्धर्व महाविद्यालय से संगीत में डॉक्टरेट (पीएचडी) की।
डॉ प्रभा अत्रे को देश के तीन सर्वोच्च पुरूस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें साल 1990 में पद्म श्री, साल 2002 में पद्म भूषण और साल 2022 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके आलावा उन्हें साल 2002 में संगीत नाटक अकैडमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
हिन्दुस्तान संगीत की किनारा घराना से ताल्लुक रखने वाली प्रभा अत्रे के संगीत पर गुलाम अली खान और उस्ताद अमीर खान का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है।
प्रभा अत्रे ने संगीत के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया। उन्होंने सगीत विषय पर भावी पीढ़ी की समझ को और अधिक विकसित करने के लिए 11 किताबें लिखीं।
संगीतज्ञ प्रभा अत्रे ने अपूर्व कल्याण, मधुरकंस, पटदीप, तिलंग, भैरव, भीमकाली और रवि भैरव जैसे नए रागों की भी रचना की। कम उम्र में, उन्होंने "संगीत शारदा", "संगीत विद्याहरण", "संगीत शक्कलोल", "संगीत मृच्छकटिक", "बिराज बहू" और "लीलाव" सहित मराठी मंच संगीत में प्रमुख भूमिकाएँ निभाई थी।
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